मेरी सीमा ये है की
मैं कल को नही जानता ,
क्या सही और क्या गलत
मै ये भी नही पहचानता ,
इसलिये मधुलिका को मैने
चाह कर भी कुछ ना कहा
बस वही पडा छोड उसे
आगे बढ चला ।
कुछ दिन फिर यूं ही चलूंगा
और फिर कोई कहानी मिल जाएगी
हमे नही पता की
कब कही दूर कोई और कहानी
मधुलिका से जुड जाएगी ।
2 comments:
जितनी सुन्दर आपकी कवितायें हैं उतना ही सुन्दर आपका चिट्ठा। यहां आ कर अच्छा लगा।
सुन्दर :)
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